लेखनी कविता -बेंदी - जगदीश गुप्त

38 Part

54 times read

1 Liked

बेंदी / जगदीश गुप्त उगी गोरे भला पर बेंदी! एक छोटे दायरे में लालिमा इतनी बिथुरती, बांध किसने दी। नहा केसर के सरोवर में, ज्यों गुलाबी चांद उग आया। अनछुई-सी पाँखुरी ...

Chapter

×